Details, Fiction and भाग्य Vs कर्म
Details, Fiction and भाग्य Vs कर्म
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मैं-आचार्य जी, आप तो यह सब जानते ही हैं कि अच्छे कर्मों को पुण्य कर्म कहते हैं और बुरे कर्मों को पाप कर्म कहते हैं। इसमें तो कोई संदेह ही नहीं की हमें कौन से कर्म चुनने चाहिए।
अपने किया हुए कर्मों का इन्साऌफ और इन्साफ उसी का होता है जब कुछ किया हो वरना किस चीज का इन्साफ कुछ नहीं करना भी तुम्हारा ही एक कर्म है जिसका असर भी तुम्हारे आने वाले समय पर पड़ता है। ज्योतिष भाग्य को समझते हुए और कर्मों के द्वारा उस भाग्य को निखारने का एक जरिया मात्र है।
भाग्य का खेल तो इंसान के जन्म से ही शुरू हो जाता है…कोई अमीर घर में तो कोई गरीब घर में पैदा होता है…ये भाग्य ही तो है…कर्म तो जन्म के बाद शुरू होता है!
Jb insan dunia m jnm lenta h uska bhagya pehle Hello teh ho jata h .karm to vo poor m krta h…es lyi luck overweigh the karma ..bcoz get more info jo luck m likha hota h krm b usi ke acc hote h
लक भी उन्ही में से एक है, पर अगर कोई चीज समझाई नहीं जा सकती तो इसका ये मतलब नहीं है कि वो है ही नहीं.
तो चलिए अपनी डिबेटिंग स्किल्स दिखाइए और अपने तर्कों से आपे उलट विचार रखने वालों को भी अपनी बात मानने पर मजबूर कर दीजिये! ????
जैसा की जयशंकर प्रसाद जी “ कामायनी में कहते हैं की
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‘जो घर पर हो सकता है वो बाहर….’, बच्चों की डेटिंग लाइफ पर एक्ट्रेस का बड़ा बयान, बेटी को एडल्ट चीज देने की भी कही थी बात
भगवान की प्रार्थना करना, व्यायाम करना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव से बचना ये सभी सकारात्मक चीजें हैं जो व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को सुधार सकती हैं। दूसरी ओर, नकारात्मक कार्य जैसे कि व्यायाम की कमी, अपने स्वास्थ्य की जरूरतों को नजरअंदाज करना, नकारात्मक भावनाओं को पालना या पापपूर्ण कार्य करना बीमारी या तनाव का कारण बन सकते हैं।
भाग्य ही सब कुछ देता है ऐसा पुरुषार्थहीन लोग ही बोलते हैं। इसलिए भाग्य की उपेक्षा कर अपनी शक्ति पर भरोसा रखना चाहिए। दूसरी ओर ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं जो मानते हैं कि भाग्य से ही सब कुछ होता है – भाग्यं फलति सर्वत्र न विद्या न च पौरुषम (अर्थात भाग्य ही हर जगह फल देता है, न कि विद्या और पौरुष)।
मैं बड़े ही असमंजस में पढ़ गया और कुछ और हिम्मत जुटा कर बोला।
आचार्य जी-नहीं, न ज्योतिष सीखना समय की बर्बादी है और न ही उसका लाभ उठाना। मगर हमें यह जानना अति आवश्यक है कि हम कर्म और भाग्य दोनों के महत्त्व को समझें और जान सकें, वरना ज्योतिष सीख कर भी तुम ऐसे सवालों का जवाब किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं दे पाओगे जो इसमें फर्क समझना चाहता है।
कोई किसी की बुराई अथवा तारीफ क्यों और कब करता है? कैसे और कब बदल जाते हैं मनुष्य के विचार एक दूसरे के प्रति
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